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आवारा बादल


अप्सरा 

मीना भाभी का प्रेम से सराबोर वह मादक स्पर्श रवि के लिए एक अनोखा और सुखद अहसास था । उसके रोम रोम से प्रेम रस बह रहा था । मीना भाभी ने उसके अधूरे अरमानों को हवा दे दी तो वे पंख फड़फड़ा कर उड़ने लगे । सतरंगी इंद्रधनुष की तरह नजर आने लगा था हर नजारा । रवि को मीना भाभी "उर्वशी" अप्सरा  की तरह नजर आने लगी थी । उसने सपनों में अनेक सुंदरियां देखी थीं मगर मीना भाभी तो उनसे भी ज्यादा सुंदर, सुडौल, सुनयना थी ।

मीना भाभी का सामीप्य पाकर रवि उन्मत्त होने लगा था । रवि का मन कर रहा था कि मीना रूपी नशीली शराब को वह एक ही सांस में गटगट करके पी जाये । मीना के काले काले नशीले दो नयन , काली लंबी घनी कटार सी तीखी भौंहे जैसे कि धनुष , उन्नत ललाट, ललाट के बीचोंबीच एक छोटी सी बिंदी, आसमान में उड़ते काले काले बादल की तरह छितराये हुए सुगंधित केश । आज मीना ने शायद बालों में कोई खास तेल लगाया था , खास रवि के लिए । उसकी महक से रवि मस्त हो चला था । रवि की नजर मीना के गोरे गोरे गालों पर आकर ठहर गई । इतनी सुंदर है मीना भाभी यह रवि ने पहले कभी सोचा ही नहीं था । दृष्टि से भी सौन्दर्य घटता बढता है । पहले रवि ने गौर से कभी मीना भाभी को देखा ही नहीं था तो उसके सौन्दर्य को कैसे देख पाता । गालों में पड़ते छोटे छोटे दो गड्ढे । जैसे किसी चिकने मैदान के ढलान पर कोई छोटी सी खाई हो जिससे उस मैदान का सारा पानी निचुड़ कर उन दोनों गड्ढों में एकत्रित हो जाता हो । रवि सोचने लगा कि जब मीना भाभी नहाती होगी तब शायद गालों पर गिरता पानी इन गड्ढों में आकर जमा हो जाता होगा । या जब वो खाना बनाती होंगी तो चेहरे का पसीना धार बनकर गालों के इन गड्ढों में भर जाता होगा । काश वह इन गड्ढों को पसीने से भरा देख पाता ? लंबी, तीखी, पतली नाक जो शायद यह कह रही थी कि मीना जितनी सुंदर है उससे कहीं अधिक तीखी और नमकीन भी है । अब यह रवि को पता नहीं चल पा रहा था कि वह हरी मिर्च की तरह तीखी है या लाल मिर्च की तरह "झन्नाटेदार" है ?  पर इतना तो अवश्य है कि छोटी और पतली हरी मिर्च लाल मिर्च से भी तीखी होती है । हो सकता है कि मीना वैसी ही तीखी हो छोटी, पतली हरी मिर्च की तरह । पर यह तो तब पता चलेगा जब मिर्च उसकी जीभ पर लगेगी । अभी तो रवि ने "मिर्च" को जी भरकर देखा भी नहीं था इसलिए वह अभी से कैसे कह देता कि यह "मिर्च" तीखी है या झन्नाटेदार । जब चखने की बात आयेगी तब देखेंगे । 

मीना के लाल लाल होंठ गुलाब के कोमल, मुलायम से फूल की पंखुड़ियों की तरह नाजुक से लग रहे थे और भरे भरे से भी । जैसे शहद के दो प्याले छककर भरे हो और उनमें से रस बाहर टपकने को बेताब हो रहा हो ।  रवि की एक उंगली उन तक पहुंचकर उनसे खेल करने लगी । मीना ने अपनी आंखें बंद कर ली । मीना की आंखें बंद देखकर रवि को और भी ज्यादा खुलने का मौका मिला । शर्म का जो थोड़ा सा परदा रवि पर पड़ा हुआ था जो उसे थोड़ा थोड़ा रोक रहा था , वो मीना के द्वारा आंखें बंद करने से हट गया था । रवि जी भरकर मीना को देखने लगा । वह न जाने कितनी देर तक मीना भाभी को एकटक देखता रहा । उसके चेहरे पर हौले हौले एक उंगली घुमाता रहा । आहिस्ता, आहिस्ता । धीरे धीरे । रवि के इस तरह बदन छूने से मीना की सांसें तेज तेज चलने लगी थी । मुंह से "आह" "ओह" की धीमे धीमे ध्वनि निकलने लगी । उसने भी ऐसा अहसास पहले कभी महसूस नहीं किया था । मीना की यह उत्तेजक आवाज रवि को दीवाना बना देने के लिए काफी थी । रवि अपलक उसे देखे जा रहा था । वह उसके रूप का रसपान किये जा रहा था । मुखड़े पर उंगलियां फिराये जा रहा था । उत्तेजना से दोनों का बदन बुरी तरह प्रकंपित होने लगा । 

थोड़ी देर बाद मीना ने अपनी आंखें खोल दी । उसकी निगाह रवि के चेहरे पर टिक गई थी । रवि उससे लगभग दस साल छोटा था इसलिए अभी इन सबका बहुत अधिक ज्ञान नहीं था उसे । प्रेम की किताब पढी नहीं थी उसने ।  वह अभी अल्हड़ ही था । वह जानता ही नहीं था किउसे कैसे और क्या करना है ? मीना भाभी तो एक मंदी हुई पारंगत खिलाड़ी थी । वह तो पांच साल से इस खेल को खेलती आ रही थी इसलिए वह पूर्णत: दक्ष हो चुकी थी । उसे तो इस काम क्रीड़ा के सब दांव पेंच आते थे । इस क्रीड़ा को दर्जनों बार खेल चुकी थी वह । मीना को लगा कि रवि तो इस खेल का अनाड़ी सा खिलाड़ी है । उसे तो इस खेल की ए बी सी डी भी नहीं आती है । एक पारंगत खिलाड़ी और दूसरा एकदम निपट अनाड़ी ? कैसे खेला जायेगा यह खेल ? पहले रवि को खेल सीखना होगा तभी खेल सकेगा वह । पर उसे सिखायेगा कौन ? मीना भाभी के कोमल अधरों पर एक निष्पाप सी मुस्कान खिल गई  । "उसे रवि का कोच बनना पड़ेगा । उसे इस क्रीड़ा में पारंगत बनाना पड़ेगा । तभी तो वह एक कुशल खिलाड़ी बन पायेगा । उसे प्रेमलीला सिखानी पड़ेगी । अगर उसके साथ यह खेल खेलना है तो यह सब करना पड़ेगा पहले । यह उसकी जिम्मेदारी भी है"। यह सोचकर मीना भाभी कोच की मुद्रा में आ गई । 

अब मीना भाभी ने रवि का मासूम सा चेहरा अपने दोनों हाथों में ले लिया । मीना ने रवि की आंखों में सीधे देखा और फिर वह धीरे धीरे उस पर झुकती चली गई । मीना ने रवि के ललाट पर एक लंबा किस किया । मीना भाभी के कोमल लबों ने जैसे ही रवि के ललाट को छुआ उसके बदन में सनसनी सी होने लगी । भुजाएं फड़कने लगीं और रवि ने आवेश में आकर मीना भाभी को अपनी मजबूत बांहों में कस लिया । मीना को यह उम्मीद नहीं थी । उसे खुशी हुई कि रवि की बांहें कितनी मजबूत हैं । मर्दाना पकड़ के कारण मीना रवि के और भी नजदीक आ गई । मीना का बदन रवि के बदन से टकराने लगा । रवि को उसके मांसल उभारों का स्पर्श अपने सीने पर महसूस होने लगा था । मीना और रवि की सांसें एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थी जो उनके अंदर हलकी हलकी अगन लगा रही थी । 

रवि को यह उम्मीद नहीं थी कि मीना भाभी इतनी जल्दी में हैं । पता नहीं वे कब की भूखी हैं । उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह एक ख्वाब है या हकीकत ? एक अप्सरा का ख्वाब तो उसने कई बार देखा था मगर वह अप्सरा उसकी बांहों में होगी , यह उसने नहीं सोचा था । 
मीना ने आगे बढते हुए रवि की दोनों आंखों को बारी बारी से चूमा । रवि को उसके अधरों का स्पर्श बड़ा मनभावन लग रहा था । मीना के लबों ने ना जाने क्या जादू कर दिया था कि रवि की उत्तेजना बढने लगी थीं । उसके हाथ मीना की पीठ पर कसते जा रहे थे । जितनी ज्यादा कसावट होने लगी , मीना उतनी ही नजदीक आने लगी । अब दोनों के दरमियान फासला लगभग न के बराबर था । उभारों का कोमल स्पर्श अब दबाव में तब्दील हो रहा था । रवि के सीने पर ऐसा महसूस होने लगा जैसे कि आग के दो गोले उसके सीने को पिघला कर रख देंगे । रवि का बदन तपते ज्वालामुखी के लावा की तरह पिघलने लगा । इस लावा की आंच पूरे बदन तक पहुंच रही थी । 

मीना भी प्रेम रस के पान के लिए व्याकुल थी । वह मधुमालती की बेल की भांति रवि के बरगद से सख्त दरख्त से लिपटने को बेताब थी । बेल की यह प्रवृत्ति होती है कि वह एक बार जिस वृक्ष से  लिपटना शुरु करती है , उसी वृक्ष को अपने आगोश में लेकर शनै शनै उसको पूरी तरह जकड़ लेती है , उसके अस्तित्व को समाप्त कर देती है । मीना भाभी भी एक ऐसी ही नाजुक सी लता थी जो रवि जैसे विशाल दरख्त को लील जाने के लिए आतुर थी । और मजे की बात देखिये कि एक शातिर लुटेरा एक मासूम को लूटने को तैयार था और वह मासूम रवि अपनी नादानी और नासमझी में लुटने को तैयार बैठा था । 

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2 Comments

fiza Tanvi

15-Jan-2022 11:52 AM

Good

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Jan-2022 01:07 PM

धन्यवाद जी

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